आज दिन-प्रतिदिन भारत में उच्च शिक्षा (Higher Education) की लागत ने छात्रों पर आर्थिक बोझ डाल दिया है। जिस कारण ग्रामीण और गरीब छात्रों (Poor Student’s) को आज उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सामाजिक और आर्थिक रूप से काफी चुनौतियों का सामना करना पर रहा है।
NIHE (National Institute of Higher Education) के अनुसार पिछले 10 वर्षों में भारत में स्नातक स्तर की शिक्षा की लागत लगभग 100% तक बढ़ गयी है। इसके अलावा इंजीनियरिंग और मेडिकल (Engineering & Medical) जैसे पाठ्यक्रमों की लागत तो और भी अधिक है।
यही कारण है, कि आज उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अधिकतर छात्रों को ऋण (Loan) लेना पड़ता है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (Reserve Bank Of India – RBI) के एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023-24 में भारतीय छात्रों (Indian Students) पर बकाया शिक्षा ऋण लगभग 1.25 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।
इस बढ़ती शिक्षा लागत के कारण आज कई छात्रों को पढाई के अतरिक्त और भी काम करना पर रहा है, जिससे वह अपना खर्चा चला सके। इस वजह से कई बार इन्हें अपनी पढाई को बीच में ही छोड़ना पड़ता है।
इस उच्च शिक्षा की बढती लागत को लेकर कई विशेषज्ञ और शिक्षाविदों ने इसे गंभीर समस्या बताया है।
अतः इस समस्या के समाधान हेतु सरकार (Government) और शिक्षा संस्थानों (Educational Institutes) को सभी स्तरों पर साकारात्मक कदम उठाने की जरुरत है; साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए छूट योजनाएं और स्कॉलरशिप्स की प्राथमिकता देना, शिक्षा में वित्तीय सहायता की अधिक संभावना हो सकती है।